सिखो में पाँच का महत्त्व

पांच नदियों के देश पंजाब में जन्मे सिख धर्म में पांच का बहुत आध्यात्मिक महत्व है। पांच नदियां,प्यारे, ककार, वाणियां और तख्त -यह सब सिखी  परंपरा की पहचान और प्रतीक है।

सिख / sikh
पांच नदियां – झेलम ,चिनाव , रावी ,व्यास और सतलुज।पांच प्यारे – सन 1699 की बैसाखी के दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में एक-एक करके पांच सिरो की भेट की मांग की। जिन 5 श्रद्धालु ने अपने सिर भेंट किए उन्हें अपने हाथ से अमृत छकाकर गुरु जी ने खालसा सजाया और सब के नाम के साथ सिंह जोड़ा।  यह 5 प्यारे कहलाए।

    • भाई दया सिंह – लाहौर
    • भाई धर्मसिंह जी – मेरठ
    •  भाई मोहकम सिंह जी – द्वारका , गुजरात
    • भाई हिम्मत सिंह जी – पुरी , उड़ीसा
  • भाई साहिब सिंह जी – बिढ़र , कर्नाटक ।

पांच ककार – गुरु गोविंद सिंह जी ने पहले पांच प्यारों को 5 करार धारण करवाए, फिर स्वयं धारण किए। अमृत पान करते हुए हर सिख को धारण करवाएं जाने वाले इन करारो का खास मकसद और महत्व है –

केश – यह परमात्मा की देनी है, इसलिए किसी भी सिख के लिए केश काटना या कतरना मना है। सिखी में केश कटवाने को केशो का कत्ल  करने जैसा घोर अपराध माना जाता है।
कंघा – यह केशो को रोजाना सफाई के लिए है ,ताकि वह जटा ना बन सके ।छोटा लकड़ी का कंघा दस्तार के नीचे केशो के बीच खोंसकर रखा जाता है।
कड़ा – यह दाएं हाथ में पहना जाता है। कड़ा सिख को हमेशा नेक कर्म करने की प्रेरणा देता है।
कछहरा – यह संयम का पालन करने की निशानी है।
कृपाण – आत्मरक्षा तथा दीन-हीन की रक्षा के लिए होती है।
पांच वाणियां

  • जपजी साहिब
  •  जाप साहिब
  •   त्व प्रसादी ।। स्वये।।
  •  चौपाई साहिब
  • आनंद साहिब

 पांच तख्त

  • श्री अकाल तख्त साहिब(अनन्त सिहासन) स्वर्ण मंदिर अमृतसर,पंजाब
  • तख्त श्री हरिमंदिर साहिब (पटना साहिब) पटना,बिहार
  • तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर(पंजाब)
  • तख्त श्री हजूर साहिब (सचखंड साहिब) नांदेड़,महाराष्ट्र
  • तख्त श्री दमादम साहिब भटिंडा,पंजाब
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