ध्यये वाक्य और नारे मे अंतर

ध्यये वाक्य और नारे मे अंतर

ध्यये वाक्य और नारे दोनों ही आकर्षक वाक्यांश होते हैं और जीवन प्रेरणा के स्रोत बनते हैं। यह आदर्श वाक्य और अनमोल वचन हमारे व्यक्तित्व, विचार, भावना के निर्माण में विशेष योगदान देते हैं। ध्यये वाक्य जहां सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होते हैं। वही नारे सकारात्मकता के साथ-साथ उन्माद के भी स्रोत हो जाते हैं।

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ध्यये वाक्य – एक आदर्श प्रेरक और आकर्षक वाक्यांश होते हैं जो व्यक्ति, समाज, संस्था, परिवार में सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत की तरह कार्य करते हैं। इस प्रकार के वाक्य कभी-कभी कुछ निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी प्रयोग किए जाते हैं। जैसे नव वर्ष के आरंभ में बहुत से लोग अपना एक ध्यये निश्चित करते हैं। स्वास्थ्य , शिक्षा या किसी अन्य उद्देश्य के प्रति और एक छोटा सा ध्यये वाक्य बनाते हैं ताकि उससे उन्हें प्रेरणा मिलती रहे। जैसे – कम चीनी कम नमक, प्रतिदिन योग, 90% से अधिक अंक आदि।

अंतर स्पष्ट करने के लिए ध्यये वाक्य(motto) के कुछ उदाहरण देखते हैं।

  • श्रम मंत्रालय – श्रमेव जयते
  • भारत सरकार – सत्यमेव जयते
  • दूरदर्शन – सत्यम शिवम सुंदरम
  • भारतीय तट रक्षक – वयम रक्षामः
  • माध्यमिक शिक्षा बोर्ड- असतो मा सद्गमय।

नारे – नारे एक हुंकार, सिंहनाद की तरह जोशीले आदर्श वाक्य होते हैं। इन वाक्यों का प्रयोग सामाजिक चेतना ,जोश कभी-कभी द्वेष आदि बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। अधिकतर नारे सफल व प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा ही बनाए जाते हैं। आधुनिक युग में प्रचार प्रसार और विज्ञापन में भी नारों का प्रयोग किया जाने लगा है इसका कुछ प्रमुख उदाहरण है – अमूल दूध पीता है इंडिया।

अंतर स्पष्ट करने के लिए नारो(slogan) के कुछ उदाहरण देखते हैं।

  • लाल बहादुर शास्त्री – जय जवान, जय किसान
  • सुभाष चंद्र बोस – तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
  • भगत सिंह- इंकलाब जिंदाबाद
  • जल है तो , कल है
  • पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया।

 नारों का एक नकारात्मक पहलू भी होता है जिसमें धार्मिक या जातिगत उन्माद के लिए नारे लिखे जाते हैं जिन्हें हम यहां नहीं लिख रहे।

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