शिक्षण तथा अधिगम में अंतर जानिए

शिक्षण तथा अधिगम( सीखना) परस्पर जीवन रथ के दो पहिए हैं। इन दोनों का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। महात्मा गांधी के अनुसार ” शिक्षा का अर्थ शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वागिक एवं  सर्वोत्कृष्ट विकास  है राष्ट्रीय शिक्षा आयोग द्वारा “ शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है शिक्षा के तीन स्तर है – स्मृति स्तर ,बौद्ध स्तर ,चिंतन स्तर।
इसी प्रकार अधिगम की भी अनेक विशेषताएं हैं। कुछ विद्वानों द्वारा इसे परिभाषित किया गया है। गेट्स के अनुसार ,अनुभव के द्वारा व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को सीखना (अधिगम ) कहते हैं क्रो & क्रो के अनुसार “सीखना आदतों , ज्ञान और अभिव्यक्तियों का अर्चन है । इस प्रकार शिक्षा और सीखना एक सार्वभौमिक क्रिया है, जो व्यवहार में परिवर्तन लाते है। आइए इनमें अंतर जाने –

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शिक्षा मानव की मूल आवश्यकताओं का अंग है। शिक्षा का अर्थ मात्र विद्यालय में पढ़ने से नहीं अपितु योग्यता और क्षमताओं के विकास को भी दर्शाता है। इसी आधार पर शिक्षा के दो अंग हैं – शिक्षण और अधिगम।

शिक्षण – शिक्षण परंपरागत शिक्षा की विधि है जिसमें  गुरु-शिष्य , गुरुकुल/ विद्यालय , निश्चित पाठ्यक्रम व उसका मूल्यांकन निहित होता है।
अधिगम – अधिगम की प्रक्रिया व्यक्ति के क्षमता, योग्यता और कौशल  पर आधारित होती है। जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया में व्यक्ति स्वयं ही अपना प्रेरणा स्रोत होता है और उसका शिक्षक परिस्थितियां, विचार, घर परिवार, समाज, कार्यस्थल और कोई भी हो सकता है। अधिगम एक स्वयंभू जागृत गुण होता है जो स्वतःही उत्पन्न होता है।
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