मंत्र और अर्थ कविता

कविता

मंत्र  ☀️

अदृश्य से अदृश्य की टकराने की बारी आई,

प्रार्थना, अरदास, इबादत की बारी आई।

खुल गए कपाट परम शक्तिशाली के ,

कोरोना की आस्था से टकराने की बारी आई।

अनंत चमत्कारों से भरे धर्मों की ,

आज विकट इंतिहान की बारी आई।

प्रकृति , मनुष्यता धर्म ही बचेंगे शायद ,

उठो मानव, यही एक धर्म अपनाने की बारी आई।

अर्थ 

क्या कहा , आर्थिक संकट बहुत गहरा हुआ ,
क्यों तेल का सस्ता होना , महंगा पड़ा।
आत्मनिर्भर तो हम पहले से ही थे , जनाब
आपके खर्चों से ही कंधों में छाला पड़ा।
क्या डरूंगा , मैं किसी ड्रैगन के डंक से ,
अजगरो , सांपो और बिच्छूओ के साथ हूं पाला गया।
मनोरंजक