- विश्वास – विश्वास वह नींव है जिसके ऊपर प्रेम का महल बनाया जाता है।यदि नींव कमजोर है तो संबंधों में मधुरता का अभाव रहेगा।अत विश्वास का धागा कभी नहीं तोडो।विश्वास करना एक गुण है वहीं संदेह कच्ची मिट्टी का हलाहल है।यदि आप एक बार अपने साथी का विश्वास खो देते हो तो, फिर कभी वह सत्कार व सम्मान नहीं पा सकोगे । “प्रेम ही विश्वास है ,विश्वास है तो प्रेम है। “
- सम्मान – “कब तक बचोगे इस सच्चाई से कि, प्रेम में भी मान और सम्मान चाहिए।”मान सम्मान देकर अपने जीवन में उसके विशेष स्थान को दर्शाते हैं। यदि हम अपने साथी को छोटी-छोटी बातों पर टोक कर या किसी के सामने अभ्रद/रोष उत्पन्न करके उसे अपमानित करें तो, वह हीन भावना से ग्रस्त हो सकता है ।साथ-साथ उसके व्यवहार में हमारे प्रति नकारात्मक परिवर्तन आने शुरू हो जाएंगे ।अतः सम्मान दो और सम्मान पाओ।
- सहयोग – व्यक्ति की असली पहचान विपत्ति पर होती है।यदि परेशानी, दुख में आप अपने को अकेला ही पाए, तो स्वयं को ठगा सा महसूस करोगे।जीवन में सुख-दुख ,लाभ-हानि चलती रहती है।ऐसे में हमें कुछ विशेष लोगों से विशेष अपेक्षाएं होती है ,यदि वह पूरी न हो तो बहुत आघात होता है ।इसलिए एक दूसरे का सहयोग करें तन, मन, धन , व्यवहार, समय जिस प्रकार से कर सकते हो। “सहयोग की भावना प्रेम में मील का पत्थर साबित होती है “।
- समर्पण – प्रेम व भक्ति पूर्ण समर्पण के बिना अधूरे होते हैं। समर्पण में अपेक्षा नहीं की जाती बिना किसी अपेक्षा के सर्वस्व त्याग ने की प्रवृत्ति ही समर्पण है। प्रेम ,प्रेम है – क्या राजा , करता रंक। “प्रेम में मांगों नहीं , सिर्फ दो।”
- मर्यादा – मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यदि सामाजिक नियमों की अनदेखी करें तो पिरामिड के सारे स्तंभ टूट जाएंगे- विश्वास ,सम्मान, सहयोग ,समर्पण। प्रेम में मर्यादा उफनती नदी में बांध का काम करती है। अतः मर्यादा में रहकर ही प्रेम के एहसास को अमर बनाओ। प्रेम शारीरिक नही मानसिक जरूरत है। मर्यादा की सीमा रेखा प्रेम को एक सुंदर ,स्वच्छ ,पवित्र, सम्मानित रूप प्रदान करती है।
प्रेम वह औषधि है,जो प्रेमी को सदा जवान रखती है।
masa allah