शरीर की प्राण शक्ति और ऊर्जा शक्ति जिसे प्राणमयकोष भी कह सकते हैं, नाड़ियां होती हैं। हमारे शरीर में लगभग 72000 नाडिया हैं इनमें से तीन प्रमुख नाड़ियां इंडा, पिंगला और सुषुम्ना है।
वैज्ञानिक तथ्य
जिस प्रकार प्रत्येक पदार्थ अणु और परमाणु से मिलकर बना हैं परंतु उसके अस्तित्व को हम नहीं देख पाते उसी प्रकार शरीर में विद्यमान 72000 नाड़ियों के अस्तित्व को नहीं स्वीकार करते। हमारे प्राचीन ग्रंथों में इसका विस्तृत वर्णन हैं। यहां तक की प्रमुख नाडियो की प्रकृति का भी वर्णन है। उपनिषद और योग शास्त्र के अनुसार चौदह नाड़ियां मुख्य है। इंगला , पिंगला , सुषुम्ना , गांधारी , हास्तजिह्रा , कुहू , सरस्वती , पूषा , शंखिनी , पयस्विनी , वारुणी अलम्बुषा़ , विश्वोदरी और यशस्विनी। यह नाड़ियां चौदह भवनों को दर्शाती है जिसमें सात लोक ऊपर के है जैसे- ॐ, भू ,भुव ,स्व ,मह ,तप एवं सत्य लोक। अतल, वितल ,सुतल, तलातल,महातल, रसातल एवं पाताल यह नीचे के लोक है। इनमें से तीन प्रमुख नाडिया इंडा ,पिंगला और सुषम्ना है। परमाणु की तरह इसमें भी इलेक्ट्रॉन/electron(-) , प्रोटॉन/protron(+) और न्यूट्रॉन/neutron(०) अर्थात ऋणात्मक/negative ऊर्जा (इंडा),धनात्मक/positive ऊर्जा (पिंगला) और शून्यता/neutral (सुषम्ना) तीनों का रूप है। हर पदार्थ की प्रकृति यही अणु निश्चित करते हैं। उसी प्रकार मनुष्य की प्रकृति का आधार भी यही नाडिया है। आइए इन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
इंडा
पिंगला
सुषुम्ना
न्यूट्रॉन(0) की तरह इस पर भी कोई आवेश नहीं होता। इसलिए यह व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान रखती है। कुंडली जागरण का अर्थ सुषुम्ना नाड़ी का जागृत होना ही है। यह अधिकतर सुप्त अवस्था में रहती है। इसका जागृत व स्थिर होना अर्थात चेतन शक्ति प्राप्त होना। यह मूलाधार से आरंभ होकर सभी चक्रों से स्वाधिष्ठान चक्र ,नाभि चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र ,सहस्त्रार चक्र तक पहुंचती है। सभी चक्र इसमें विद्यमान है इसलिए यह सबसे महत्वपूर्ण नाड़ी है। ॐ का उच्चारण इसी नाड़ी को क्रियाशील करने में मदद करता है। यह शून्यता , स्थिरता और वैराग्य को दर्शाती हैं।
भगवान शिव को अर्धनारीश्वर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी इंडा और पिंगला दोनों नाड़ियां जागृत अवस्था में है। इसके साथ ही साथ वह एक योगी भी है अतः उनकी सुषुम्ना नारी भी चेतन अवस्था में है। इसी कारण उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है। मनुष्य भी कुछ हद तक योग और ध्यान द्वारा इन नाड़ियों पर नियंत्रण कर सकता है। इससे वह अपने आंतरिक, अध्यात्मिक, शारीरिक, बौद्धिक उर्जा को बढ़ा सकता है और सफल , स्वस्थ, शांत और संतुलित जीवन पा सकता हैं।
Excellent
कृपया ऐसे रुचिकर विषय बताइए जिनमे आप अंतर जानना चाहते हो _/\_