मंत्र ☀️
अदृश्य से अदृश्य की टकराने की बारी आई,
प्रार्थना, अरदास, इबादत की बारी आई।
खुल गए कपाट परम शक्तिशाली के ,
कोरोना की आस्था से टकराने की बारी आई।
अनंत चमत्कारों से भरे धर्मों की ,
आज विकट इंतिहान की बारी आई।
प्रकृति , मनुष्यता धर्म ही बचेंगे शायद ,
उठो मानव, यही एक धर्म अपनाने की बारी आई।
अर्थ
क्या कहा , आर्थिक संकट बहुत गहरा हुआ ,
क्यों तेल का सस्ता होना , महंगा पड़ा।
आत्मनिर्भर तो हम पहले से ही थे , जनाब
आपके खर्चों से ही कंधों में छाला पड़ा।
क्या डरूंगा , मैं किसी ड्रैगन के डंक से ,
अजगरो , सांपो और बिच्छूओ के साथ हूं पाला गया।
bahut bahut dhanyawad
आप का बहुत बहुत धन्यवाद _/\_
I completely understand with your perspective on this issue. Thanks for sharing your opinion.