दैनिक डायरी का महत्व

 दैनिक डायरी लिखना एक प्रकार का आत्मचिंतन/स्वचिंतन ही है।

डायरी एक प्रकार से हमारी परम मित्र हैं। यह हमें स्वयं से मिलाती है और हमारी भावनाओं, कार्यों , समीक्षाओं , समाधान और विचारों का प्रतिबिंब होती है।आपने ऐनी फ्रैंक, यहूदी लड़की का नाम तो सुना ही होगा जिसकी मृत्यु  हिटलर के गैस चैंबर में हुई थी। उसे डायरी लिखने का बहुत शौक था। वह अपनी प्रतिदिन की घटनाएं व भावनाएं उसमें लिखती थी। उसकी मृत्यु के पश्चात उसके पिता ने उसके द्वारा लिखी डायरी प्रकाशित की जिसका नाम विश्व की सर्वोत्तम पुस्तकों में है।

दैनिक डायरी का महत्व

डायरी लेखन का महत्व

  1. स्व मूल्यांकन – डायरी लेखन आत्मचिंतन के समान है इससे हम अपने कार्यों का मूल्यांकन और उसमें सुधार कर सकते हैं। जब हम किसी बात को लिखते हैं तो उसका असर हमारे मन पर गहरा पड़ता है और हम अपनी कमियों में सुधार के साथ योग्यता बढ़ाने लिए प्रेरित होते हैं।
  2. समय प्रबंधन – डायरी लेखन मे हम अपने पूरे दिन के समय व्यतीत का लेखा-जोखा लिखते हैं। इससे हमें समय के सदुपयोग और दुरुपयोग में अंतर स्पष्ट समझ आ जाता है, और हम समय प्रबंधन करना जल्दी सीख जाते हैं। लगातार इसमें लिखने से समय व्यर्थ होने के प्रमुख कारण पता चल जाते है।
  3. कार्य नियोजन – इसमें लिखे हमारे विचार एक मार्गदर्शक की तरह हमें राह दिखाते हैं। पिछली सफलता और असफलता के अनुभव के आधार पर हम भविष्य की कार्य योजना बनाने में सफल रहते हैं। इसमें लिखे हमारे कार्य व भाव हमारी मदद करते है।
  4. लक्ष्य निर्धारण – कुछ सालों बाद डायरी हमारी मार्गदर्शक बन जाती है। हमारी योग्यताओं, कौशल , ज्ञान तथा हमारी कमजोरियों पर इसकी गहरी पैठ हो जाती है, क्योंकि यह डायरी में अंकित होता है। इसके आधार पर भविष्य के लक्ष्य निर्धारण में यह एक कुशल मित्र की तरह मददगार साबित होती है।
  5. सामाजिक सौहार्द की प्रेरणा – यह हमारा सामाजिक परिवेश बढ़ाने में भी मदद करती हैं। हम अपने मददगार साथियों का नाम इसमें अंकित करते हैं जो हमें हमेशा याद रहता है। साथ ही साथ हम अपने शुभ कर्मों का भी वर्णन करते हैं जो हमें सुखद अनुभूति देता है। इससे हमें भविष्य में भी सहयोग लेने – देने  की प्रेरणा मिलती है।
  6. स्मरण शक्ति में सुधार – इसे लिखने के लिए पूरे दिन के सभी कार्यों और विचारों की पुनरावृत्ति/revision की जाती है। जिससे स्मरण शक्ति और निर्णयात्मक शक्ति का विकास होता है।
  7. भावनाओं पर नियंत्रण – इसे लिखने का एक प्रमुख लाभ भावनाओं की आवृत्ति पर अंकुश लगाना है। डायरी लेखन से व्यक्ति अपनी भावनाओं के नकारात्मक और सकारात्मक प्रवाह के विषय में पूरी तरह से जागरूक हो जाता है। जिसके कारण निराशा , तनाव , ईर्ष्या , द्वेष जैसे भावों पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है।
  8. जीवन में सार्थकता – यदि कोई सच्चा साथी मिल जाए तो जीवन सार्थक है। हम स्वयं अपने सच्चे साथी हैं और डायरी हमारे उसी साथी से रोज शाम को बातें करने/लिखने का माध्यम बनती है। स्वयं को समझने, जानने का यह सही और उत्तम मार्ग है।
  9. सकारात्मक भाव – जिस प्रकार हम अपने मित्र से अपनी समस्याएं साझा करके मन को शांत करते हैं उसी प्रकार डायरी में भी हम अपने भावों को लिखकर मन को हल्का कर सकते हैं सबसे अच्छी बात तो यह है यह ऐसा विश्वासपात्र मित्र है, जो हमारी भावनाओं को कहीं ओर बताएगा भी नहीं।
  10. भाषा अभिव्यक्ति में सुधार – इसे लिखने से हमें अपने भावों को शब्द देना आ जाता है साथ ही साथ लेखन कला में भी सुधार होता है। शब्दकोश में वृद्धि होती है और अभिव्यक्ति की भावना आत्मविश्वास पैदा करती है।

क्या लिखें-क्या न लिखें 

  • क्या लिखें  – डायरी में हम अपने प्रतिदिन के कार्य का लेखा-जोखा और विचारों की आवृत्ति को लिखते हैं। इसमें सकारात्मक भाव लिखना उत्तम होता है ताकि हमारा मनोबल, आत्मबल आत्मविश्वास में वृद्धि हो।
  • क्या न लिखें  – डायरी हमारी निजी संपत्ति है परंतु हमें ऐसा कुछ नहीं लिखना चाहिए कि कोई हमें ब्लैकमेल/blackmail कर सके या हमारी भावनाओं का गलत फायदा उठा सकें। इसमें छोटी-छोटी समस्याएं न लिखें, बातों को  प्रमुख बिंदुओं के रूप में लिखें।
सामान्य जानकारी