सभ्यता और संस्कृति में अंतर

सभ्यता और संस्कृति में अंतर

प्राय: सभ्यता और संस्कृति को एक ही मान लिया जाता है, परंतु इनमें गहरा भेद है। सभ्यता में मनुष्य के जीवन का भौतिक पक्ष प्रधान है अर्थात सभ्यता का अनुमान भौतिक सुख-सुविधाओं से लगाया जाता है। इसके विपरीत संस्कृति में आचार और विचार पक्ष की प्रधानता होती है। इस प्रकार सभ्यता को शरीर माना जा सकता है और संस्कृति को आत्मा इसलिए इन दोनों को अलग- अलग करके नहीं देखा जा सकता। वास्तव में यह दोनों एक- दूसरे के पूरक हैं।

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किसी भी समाज का निर्माण उसकी संस्कृति की नींव पर होता है। संस्कृति का सामान्य अर्थ है मानव जीवन के दैनिक आचार- व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रियाकलाप आदि। वास्तव में संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होते हैं। जो विरासत के रूप में अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होता है। संस्कृति विचार और आचरण के नियम और मूल्य हैं। जिन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो संस्कृति एक विशिष्ट जीवन शैली का नाम है । यह एक सामाजिक विरासत है जो परंपरा से चली आ रही होती है। एक संस्कृति तब ही सभ्यता बनती है जब उसके पास एक लिखित भाषा, दर्शन, धर्म शास्त्र, न्याय शास्त्र और राजनीतिक प्रणाली हो ग्रीन।

संबंधित अनमोल विचार

  1. हमारी संस्कृति की जड़े अमरता के स्रोतों में अत्यंत दृढ़ता से एवं गहराई तक जमी हुई है, जो सरलता से सूख नहीं सकतीं।अज्ञात
  2. सभ्यता एक जीवन पद्धति है, एक ऐसी जीवन दृष्टि है। जिसमें समस्त मनुष्यों के प्रति समान आदर भाव होता है। जेनी ऐडम्स
  3. सभ्यता का अर्थ एक ऐसा समाज है जो नागरिकों की राय के आधार पर बनता है। वेस्टर्न चर्चील
  4. सभ्यता कलेवर है, संस्कृति उसका अन्तरंग।सभ्यता स्थूल होती है, संस्कृति सूक्ष्म ।सभ्यता समय के साथ बदलती है ,किंतु संस्कृति अधिक स्थायी होती है। अटल बिहारी वाजपयी
  5. मन की संस्कृति हृदय की संस्कृति के अधीन रहनी चाहिए। महात्मा गांधी
  6. मजहब , देश , स्थान यहां तक की सभ्यता बदल लो परंतु संस्कृति मत बदलो वरना टूट जाओगे। रेखा(लेखिका) 
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