- जो धुन के पक्के होते हैं वह जरूर सफल होते हैं।
- दृढ़ विश्वास के द्वारा दुर्गम पथ को भी सुगम बनाया जा सकता है।
- व्यक्ति को अपना लक्ष्य, अपना आदर्श हमेशा प्रकाशमान रखना चाहिए उसे कभी धुंधला न पड़ने दे।
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- व्यवहारिक/यथार्थवादी बने संकुचित मानसिकता न रखें – हर निर्णय तर्कसंगत ,विवेक शील, न्याय संगत, पक्षपात रहित होकर संकल्प शक्ति के साथ ले।निर्णय करते वक्त संवेदनशील, आशंकित व रूढ़ीवादी न बने।
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- समय सीमा का निर्धारण करें व निजी स्वार्थों को महत्व न दें – लक्ष्य को छोटे-बड़े स्तर पर समय के अनुसार निर्धारित करें, नियोजित करें।साथ ही अपने निजी स्वार्थ व निजी विचारधारा ,धर्म ,जाति ,देश, प्रदेश को बाधा के रूप में न आने दे।
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- योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें और एक व्यक्ति पर निर्भर न रहें – कार्य का लेखा जोखा तैयार करें।जिसमें आंकड़े ,गणना ,ब्योरा सम्मिलित रहे।एक ही व्यक्ति पर निर्भर न रहे ,अन्य स्रोत और साधन भी अपनाएं।इससे आपकी निर्भरता कम होगी और आप स्वतंत्र होकर निर्णय कर सकोगे।
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- लक्ष्य पर अंत तक नजर रखें और असफलता पर पलायन न करें – लक्ष्य की प्राप्ति तक उस पर नजर बनाए रखें।हर स्तर पर उसकी जांच करें और यदि ईश्वर न करें असफलता मिले तो पलायन न करके पुनः आरंभ करें।
- नवीनता की पक्षधर रहे साथ ही साथ प्रशंसा आलोचना से प्रभावित न होएं – नई विचारधारा तकनीकी को शीघ्र ही अपना ले।मध्य मार्ग अपनाने के लिए अपने मन को खुला रखें और सौम्य व्यवहार करें साथ ही साथ प्रशंसा और आलोचना से प्रभावित होकर आवेश में न आए।