भाग्य और पुरुषार्थ पर महान लोगों के विचार
- कर्म, ज्ञान और भक्ति – ये तीनों जहां मिलते हैं वही सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ है।
- पुरुषार्थ ही सौभाग्य को सींचता है।
- हारिए न हिम्मत , बिसारिए न हरिनामा।
- भाग्य, पुरुषार्थी के पीछे चलता है।
- मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है।
- जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पूरे नहीं होते।
- करम गति टारै नाहि टरै।
- कार्याणि उद्यमेन हि सिध्यंति न मनोरथः।
- आपका लक्ष्य भाग्य से पूरा नहीं होगा इसके लिए पुरुषार्थ करना पड़ेगा।
- लाख संभल कर चले चलने वाले , हादसे हो ही जाते हैं होने वाले।
- तुलसी भरोसे राम के निश्चित होकर सोए, होनी तो होकर रहे अनहोनी न होय।
- कर्मवान ,भाग्यवान होता है। कर्महीन ,भाग्यहीन होता है।