थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल और वॉकल फॉर लोकल में अंतर

 बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी है, गूमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी है, आत्मनिर्भर होने की भारत नें मन में ठानी है। (झांसी की रानी कविता से पंक्तियां) 

भारत की गुलामी की जंजीरे सन 1947 में कट गई थी ,पर मन,मस्तिष्क,संस्कार,सभ्यता,संस्कृति, आत्मविश्वास,मान सम्मान पर पड़ी हुई जंजीरे आजादी के 70 साल बाद जाकर खुलनी शुरू हुई।कुछ लोगों को गुलामी की ऐसी आदत पड़ गई कि आजादी से डर लगने लगा ।उनकी  मानसिक स्थिति ठीक होने में अभी समय लगेगा। 

थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल और वॉकल फॉर लोकल में अंतर

थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल अर्थात वैश्विक सोच के साथ स्थानीय विकास -भारतीय उत्पादन को विश्व स्तर पर स्थापित करना इसका प्रमुख उद्देश्य है।वैश्विक बाजार, मापदंड, स्तर, प्रतिस्पर्धा, मांग, कीमत, मार्केटिंग, प्रचार प्रसार, टेक्नोलॉजी की रणनीति, तकनीकी सेवा आदि को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पादन व सेवाओं का निर्माण करना। उसके लिए भारतीय संसाधनों का ही प्रयोग करना ताकि स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिल सके। उदाहरण – टाटा नैनो, खादी के वस्त्र, राजस्थानी फर्नीचर , भारतीय कालीन, खिलौने आदि।

वोकल फॉर लोकल अर्थात स्थानीय उत्पाद के लिए मुखर होना -आत्मनिर्भर भारत तभी होगा जब गांव ,कस्बा ,छोटा शहर आत्मनिर्भर होगा। इसका उद्देश्य पहाड़ी, ग्रामीण, जनजाति कला या उत्पादन को प्रोत्साहित करना। सूक्ष्म, लघु व मध्यम स्तर के उद्योगों को जो संस्कृति के घटक हैं उन्हें बढ़ावा देना। उदाहरण मधुबनी पेंटिंग ,लाख की चूड़ियां, हिमाचली जैकेट, बांस की टोकरियां या अन्य सामान।

भारत को पुन विश्व गुरु बनाने का सपना लिए कोई नेता, देवदूत के समान लगता है।जो हमारी खोई हुई अस्मिता ,वैभव, प्रतिष्ठा को जगाने के लिए आया है।ऐसे में हमें उसका पैर खींचने के बदले उसका हाथ पकड़ना चाहिए। स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप योजना, मेक इन इंडिया आदि जैसी योजनाओं का उद्देश्य भारत की जीर्ण अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने का काम करेगी।आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य स्वयं अपने संसाधनों ,जनशक्ति का प्रयोग करके विश्व स्तरीय उत्पादन का निर्माण करना हैं। इसके साथ भारत के नागरिक इन वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करके उन्हें प्रोत्साहित करें।

यदि आप भारत के किसी अन्य राज्य में है, तो अपने राज्य या गांव के उत्पाद को बढ़ावा दें, और यदि आप विदेश में हो तो भारतीय उत्पाद का प्रचार करें। – एकमात्र दिव्य उद्देश्य

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