भारतीय परिवेश में मनोरोग एक नया शब्द उभर कर आया है। इससे पहले भारतीय संस्कृति की विरासत , तीज त्यौहार, सामाजिक ढांचा , परिवारिक संबंध इस प्रकार के थे कि मनोरंजन था पर मनोरोग नही।
“मन के हारे हार और मन के जीते जीत। ” हमारी मनो स्थिति हमारी सफलता में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है उक्त पंक्तियां यही दर्शाती है। मनोरोग अर्थात मन का रोग जो हमारी मनो स्थिति बिगाड़ दे/ खराब कर दे। मनोरोग होने के प्रमुख कारण स्वस्थ मनोरंजन की अत्यंत कमी है। जैसे-जैसे मनोरंजन के स्रोत बढ़ते जा रहे हैं उसी अनुपात में मनोरोग भी बढ़ते जा रहे हैं । आधुनिक मनोरंजन व्यक्ति को एकांकी करता जा रहा है। साथ ही साथ सामाजिक परिवेश भी तनावग्रस्त होता जा रहा है। इस रोग के अन्य कारण आधि, व्याधि, उपाधि भी हैं। इसका निदान सौहार्द पूर्ण वातावरण और आत्मबल ही है।
मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक इस रोग के निदान में क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं आइए जानते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को सामाजिक , व्यवहारिक, मानसिक समस्या है तो पहले वह मनोवैज्ञानिक से सलाह लें। मनोविज्ञानी निरीक्षण तथा परीक्षण द्वारा (personality test and IQ test) रोग के स्तर को जानकर यथासंभव परामर्श और सलाह दे सकते हैं। यदि रोग गंभीर स्थिति में है ओर ऐसा लगता है कि मनो स्थिति संभालने के लिए दवाइयों की आवश्यकता है और उच्च स्तरीय परामर्श की आवश्यकता है। इस स्थिति में आप मनोचिकित्सक से संपर्क करेंगे। मनोचिकित्सक डॉक्टर होते हैं वही रोग के अनुसारआपको दवाइयां देने में सक्षम है मनोवैज्ञानिक आपको दवाइयां देने के लिए प्रशिक्षित नहीं है।
मनोरोग की पहचान-
- यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से अवसाद और दुखद भावना , निराशा का अनुभव करता है।
- किसी कार्य को लगातार बार-बार दोहराता है। जैसे हाथ धोना , बार-बार ताला चैक करना आदि।
- किसी पर विश्वास नहीं करता बहुत जल्दी डर जाता है।
- अत्यधिक शराब पीना या नशे का प्रयोग करना।
- दैनिक जीवनचर्या को भी करने में असमर्थ हो जाना ,मानसिक कारणों की वजह से।
- अपने आप को और अन्य को नुकसान पहुंचाना। आत्महत्या की भावना या हत्या की भावना।
इस प्रकार के भाव यदि किसी व्यक्ति में लंबे समय तक रहते हैं तो उसे मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक की अति आवश्यकता है। उसे अन्यथा ना ले , इलाज करवाएं क्योंकि ऐसे मानसिक विकारों का इलाज संभव है। ऐसे व्यक्तियों को कई बार लोग पागल समझते हैं हालांकि यह मनोरोग है ओर कमजोर आत्मविश्वास वाले व्यक्ति को मनोरोग हो भी सकता है। जिस प्रकार अन्य रोगों का इलाज कराते हैं उसी प्रकार इसका इलाज करवाएं और रोगी को प्रसन्न रखें।