ओजस्वी वक्ता बनने के लिए इन दोहो ,मुहावरों और छंदों का प्रयोग करें। फिर देखें कि आपकी बातों का कितना गहरा प्रभाव पड़ता है। इन कथनों की एक-एक पंक्ति ही प्रभावी है, अतः पूरा मुहावरा बोलने की आवश्यकता नहीं।
प्रशंसा / सम्मान सूचक कथन
- रहिमन हीरा कब कहे, लाख टको मेरो मोल।
- गिरधर ,मुरलीधर कहे कछु दुख मानत नाही।
- क्षमा बड़न को चाहिए ,छोटों को उत्पाद।
- संधि ,वचन सपूज्य उसी का , जिसमें शक्ति विजय की।
- चंदन, विष व्यापेत नाहीं, लिपटे रहत भुजंग।
हंसी-मजाक/ अपमान सूचक कथन
- नाच ना जाने आंगन टेढ़ा।
- ऊंट के मुंह में जीरा।
- बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से पाए।
- यह मुंह ओर मसूर की दाल।
- रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।
- बड़ा हुआ तो क्या हुआ ,जैसे पेड़ खजूर
शिक्षात्मक कथन
- जो सुख में सुमिरन करें,दुख काहे को होय।
- जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए।
- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
- एक हि साधे सब सधै,सब साधे सब जाए।
- अति का भला न बोलना, अति की भली ना चुप।
- चिंता चिता समान।
- मलियागिरी की भीलनी, चंदन देत जलाएं ।(ज्यादा परिचय, मेलजोल का नुकसान)
- मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।
- रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाएं।
- काम ,क्रोध ,मद ,लोभ सब नाथ नरक के पंथ।
- ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
- धीरज, धर्म ,मित्र, अरु नारी ,आपद काल परखिए चारि।
- रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि ।जहां काम आवै सुई, कहां कहै तलवार।।
- जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
- तुलसी भरोसे राम के, निर्भय होकर सोए ।अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय।।