ओजस्वी वक्ता बनिए

वक्ता

ओजस्वी वक्ता बनने के लिए इन  दोहो ,मुहावरों और छंदों का प्रयोग करें। फिर देखें कि आपकी बातों का कितना गहरा प्रभाव पड़ता है। इन कथनों की एक-एक पंक्ति ही प्रभावी है, अतः पूरा मुहावरा बोलने की आवश्यकता नहीं।

प्रशंसा / सम्मान सूचक कथन 

  1. रहिमन हीरा कब कहे, लाख टको मेरो मोल।
  2. गिरधर ,मुरलीधर कहे कछु दुख मानत नाही।
  3. क्षमा बड़न को चाहिए ,छोटों को उत्पाद।
  4.  संधि ,वचन सपूज्य उसी का , जिसमें शक्ति विजय की।
  5. चंदन, विष व्यापेत नाहीं, लिपटे रहत भुजंग।

 हंसी-मजाक/ अपमान सूचक कथन 

  1. नाच ना जाने आंगन टेढ़ा।
  2. ऊंट के मुंह में जीरा।
  3. बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से पाए।
  4. यह मुंह ओर मसूर की दाल।
  5. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।
  6. बड़ा हुआ तो क्या हुआ ,जैसे पेड़ खजूर

शिक्षात्मक कथन

  1. जो सुख में सुमिरन करें,दुख काहे को होय।
  2. जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए।
  3. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
  4. एक हि साधे सब सधै,सब साधे सब जाए।
  5. अति का भला न बोलना, अति की भली ना चुप।
  6. चिंता चिता समान।
  7. मलियागिरी की भीलनी, चंदन देत जलाएं ।(ज्यादा परिचय, मेलजोल का नुकसान)
  8.  मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।
  9. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाएं।
  10. काम ,क्रोध  ,मद ,लोभ सब नाथ नरक के पंथ।
  11. ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
  12. धीरज, धर्म ,मित्र, अरु नारी ,आपद काल परखिए  चारि।
  13.  रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि ।जहां काम आवै सुई, कहां कहै तलवार।।
  14. जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
  15. तुलसी भरोसे राम के, निर्भय होकर सोए ।अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो होय।।
मनोरंजक