विज्ञान वरदान या अभिशाप यह प्रश्न आते ही हम इस पर चर्चा करते है। यदि आपसे पूछा जाए तंत्र , मंत्र , यंत्र अभिशाप या वरदान तो आप बिना चर्चा किए इसे अभिशाप का रूप दे देते हैं। जो सर्वथा अनुचित है, यह उतना ही उपयोगी है जितना विज्ञान और उतना ही अनर्थकारी है जितना की विज्ञान। जिसकी रचना भगवान शिव और पार्वती ने की हो, जो सर्व कल्याणकारी हैं , तो यह कल्याण के लिए ही बनी है। आइए तंत्र-मंत्र-यंत्र के अर्थ और वैज्ञानिक पहलू को जाने।
तंत्र
तंत्र अर्थात अपने शरीर , अन्य शरीर या मृत शरीर को मंत्रों और हठयोग द्वारा साधकर की जाने वाली तांत्रिक क्रियाएं। जो धैर्य प्राप्ति हेतु की जाए। अधिकतर इन का उद्देश्य शारीरिक-मानसिक रोग, अतृप्त आत्माओं से मुक्ति, ध्यान केंद्रित करना, सिद्धियां/विशेष शक्तियां प्राप्त करना होता है। सिद्धियों का प्रयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही हो सकता है यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता हैं।
हमारे ऋषि मुनि संपूर्ण ब्रह्मांड की जानकारी रखते थे , उस का प्रमुख कारण यही था कि वह अपने स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर को अलग करके संपूर्ण ब्रह्मांड में विचरण करने में सक्षम थे। ब्रह्मांड के सभी ग्रहों , उपग्रहों, उल्का पिंड व अन्य खगोलीय जानकारी इतनी विस्तृत रूप से जैसे रंग , प्रभाव , तापमान , परिक्रमा में समय यह किस प्रकार संभव हुआ होगा जबकि उपकरणों का अभाव था। तंत्र साधना या यंत्र साधना से ही संभव हो सकता हैं।
मंत्र
मंत्र ऐसी ध्वन्यात्मक तरंगे(Sound waves) , कंपन( उत्पन्न करती हैं जो आसपास के वातावरण में एक शक्ति का संचालन कर देती है। मंत्रों के जाप से व्यक्ति को मानसिक , आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त होती है। हर ध्वनि तरंगों(sound waves) की अलग-अलग आवृत्ति frequency होती है। अतः प्रत्येक मंत्र, भिन्न-भिन्न उद्देश्य सिद्ध करने में सार्थक होता है। एक साथ मंत्रों का जाप करने से शक्तिशाली कंपन उत्पन्न होता है , जो विशेष उद्देश्य की पूर्ति करने में संभव होता है।
मानसिक मंत्र जाप भी अपना सकारात्मक प्रभाव दर्शाते हैं। यह पूजा पाठ और ग्रह शांति में बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। यंत्रों और तंत्रों को भी मंत्रों के द्वारा संचालित किया जाता है। प्रत्येक यंत्र , तंत्र का एक विशेष मंत्र होता है जिस प्रकार कोड वर्ड(code word) हो। अलीबाबा चालीस चोर में खुल जा सिम सिम भी मंत्र ही था, जो गुफा को खोलेंने वाले यंत्र को संचालित कर रहा था। इस प्रकार मंत्रों का महत्व सभी धर्मों में दर्शाया गया है। प्रार्थना के रूप में भी हम मंत्रों का ही प्रयोग कर रहे होते हैं।
यंत्र
यंत्र को सभी सिद्धियां प्राप्त करने का द्वार भी कहा जाता है। यंत्र को धातु पत्त या किसी वस्तु पर आकृति , संख्या , चित्र द्वारा दर्शाया जाता है। कभी-कभी कोई उपकरण/हथियार स्वयं ही पूर्ण यंत्र होता है। इन यंत्रों को मंत्रों के द्वारा पोषित कर दिया जाता है। अब इस यंत्र को कोई भी धारण करें या उपयोग करें यह उसके लक्ष्य के लिए सार्थक सिद्ध होगा। यदि यंत्र को मंत्र के द्वारा संचालित नहीं करें तो वह निष्क्रिय ही पड़े रहते हैं और कभी कभी साधारण उपकरण भी यदि मंत्र द्वारा संचालित करें तो वह शक्तिशाली प्रभाव दर्शाते हैं। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त की थी और अपनी पुस्तक सौंदर्य लहरी में इनका वर्णन किया था।
सभी धर्मों में एक मूल मंत्र है- ओम् , आमीन, amen जिसका उच्चारण अ् से शुरू होकर न् पर समाप्त होता है , जो सातों चक्रों को जागृत करने की कंपन उत्पन्न करता हैं।
बहुत ही अच्छा लेख पढ़कर जानकारी मिली.
कृपया ऐसे रुचिकर विषय बताइए जिनमे आप अंतर जानना चाहते हो _/\_
Mujhe Mantra tantra yantra ki satik jankari chahie
सागर को गागर में नहीं भरा जा सकता। यह एक बहुत विस्तृत विषय है।
बहुत ही अच्छी और स्पष्ट अन्तर।
कृपया कर माननीय, महोदय और महाशय में अन्तर क्या है? इस पर अपनी एक पोस्ट कीजिए।🙏
आप का बहुत बहुत धन्यवाद _/\_
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धन्यवाद