पांच नदियों के देश पंजाब में जन्मे सिख धर्म में पांच का बहुत आध्यात्मिक महत्व है। पांच नदियां,प्यारे, ककार, वाणियां और तख्त -यह सब सिखी परंपरा की पहचान और प्रतीक है।
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- भाई दया सिंह – लाहौर
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- भाई धर्मसिंह जी – मेरठ
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- भाई मोहकम सिंह जी – द्वारका , गुजरात
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- भाई हिम्मत सिंह जी – पुरी , उड़ीसा
- भाई साहिब सिंह जी – बिढ़र , कर्नाटक ।
पांच ककार – गुरु गोविंद सिंह जी ने पहले पांच प्यारों को 5 करार धारण करवाए, फिर स्वयं धारण किए। अमृत पान करते हुए हर सिख को धारण करवाएं जाने वाले इन करारो का खास मकसद और महत्व है –
केश – यह परमात्मा की देनी है, इसलिए किसी भी सिख के लिए केश काटना या कतरना मना है। सिखी में केश कटवाने को “केशो का कत्ल ” करने जैसा घोर अपराध माना जाता है।
कंघा – यह केशो को रोजाना सफाई के लिए है ,ताकि वह जटा ना बन सके ।छोटा लकड़ी का कंघा दस्तार के नीचे केशो के बीच खोंसकर रखा जाता है।
कड़ा – यह दाएं हाथ में पहना जाता है। कड़ा सिख को हमेशा नेक कर्म करने की प्रेरणा देता है।
कछहरा – यह संयम का पालन करने की निशानी है।
कृपाण – आत्मरक्षा तथा दीन-हीन की रक्षा के लिए होती है।
पांच वाणियां
- जपजी साहिब
- जाप साहिब
- त्व प्रसादी ।। स्वये।।
- चौपाई साहिब
- आनंद साहिब
पांच तख्त
- श्री अकाल तख्त साहिब(अनन्त सिहासन) स्वर्ण मंदिर अमृतसर,पंजाब
- तख्त श्री हरिमंदिर साहिब (पटना साहिब) पटना,बिहार
- तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर(पंजाब)
- तख्त श्री हजूर साहिब (सचखंड साहिब) नांदेड़,महाराष्ट्र
- तख्त श्री दमादम साहिब भटिंडा,पंजाब
बहुत सुंदर जानकारी दी गई है
धन्यवाद
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