प्रार्थना का फल प्राप्त करने के लिए विचारों और शब्दों की शक्ति का बहुत महत्व होता है, क्योंकि विचारों की भी एक आवृत्ति होती है। अतः हमें प्रार्थना के समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1 कृतज्ञ /शुक्रगुजार– जीवन में हमें जो भी प्राप्त है उसके लिए हमें मन ,वचन ,कर्म से प्रभु का शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि ईश्वर उसी को देता है जो अपने आप को कृतज्ञ समझे।
2 आशावादी -व्यक्ति को हमेशा आशावादी होना चाहिए ।उसे उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए ।आशावादी होना ,प्रभु में विश्वास रखने के समान है ।
3 सुविचार -जैसा कि ,आपको बताया है कि विचारों की आवृत्ति होती है। अतः हमें सुविचार ही रखने चाहिए ताकि शुभ-लाभ ही आकर्षित होकर हमारे पास आए।
4 शब्दों का चयन-प्रार्थना के समय सकारात्मक शब्दों का ही प्रयोग करें ऐसे शब्दों का प्रयोग नही करें जिसमें नकारात्मकता हो। उदाहरण
पहला– (गलत वाक्य) प्रभु, हम कभी बीमार न हो। (सही वाक्य) प्रभु ,हम हमेशा स्वस्थ रहें।
दूसरा– (गलत वाक्य) प्रभु ,हमें कभी हानि न हो । (सही वाक्य) प्रभु ,हमें लाभ हो।
तीसरा- (गलत वाक्य) प्रभु ,हमारे दुश्मनों का नाश हो ।(सही वाक्य) प्रभु ,हमें शक्ति दो ।इस प्रकार प्रार्थना के समय हमें सकारात्मक वाक्यों का ही प्रयोग करना है।