- यह एक शुभ चिन्ह माना जाता है किसी भी मांगलिक कार्य में हिंदू धर्म ,बौद्ध धर्म और जैन धर्म के लोग इसे बनाते हैं और इसकी पूजा करते हैं।
- स्वास्तिक का अर्थ – स्वास्तिक =सु+अस्ति अर्थात शुभ होना ,कल्याण होना।
- इतिहास -आज से लगभग 3000 वर्ष पूर्व हड़प्पा सभ्यता के लोग भी स्वास्तिक का प्रयोग सूर्य की आराधना के लिए करते थे। साथ ही प्राचीन रोम, ईरान, फारस में भी इस चिन्ह को शुभ माना जाता था।
- हिटलर द्वारा प्रयोग -इस चिन्ह का प्रयोग हिटलर ने अपने झंडे में किया था। जिसमें उसने इस चिन्ह़ को टेढ़ा बनाया था और काले रंग से बनाया था। अतः यह चिन्ह एक अशुभ संकेत दे रहा था क्योंकि इसे हमेशा सीधा बनाना चाहिए और लाल रंग से ही बनाना चाहिए।
इस चिन्ह को लेकर कई मान्यताएं है –
- चार दिशाओं का प्रतीक – उत्तर, दक्षिण, पूर्व ,पश्चिम।
- चार वेदों का प्रतीक – ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद।
- चार देवताओं का प्रतीक – ब्रह्मा , विष्णु , महेश व गणेश।
- सूर्य का प्रतीक – यदि चिन्ह के चारों तरफ वृत्त बना दिया जाए, तो यह सूर्य का प्रतीक हो जाता है।
- चार युग का प्रतीक – सतयुग, त्रेतायुग , द्वापरयुग और कलयुग।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह चिन्ह एक अध्यात्मिक रहस्य को दर्शाता है।