सिंधु घाटी सभ्यता- प्रमुख बिंदु

सिंधु घाटी सभ्यता- प्रमुख बिंदु
  • 1.सिंधु घाटी सभ्यता – इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता और नगरीय सभ्यता  भी कहा जाता है।
  • 2.भौगोलिक स्थिति – अफगानिस्तान ,जम्मू ,पाकिस्तान तथा गुजरात जैसे क्षेत्रों में पाई गई।
  • 3.काल निर्धारण – लगभग 2600 और 1900 ई0 पू0।
  • 4.पुरातात्विक साक्ष्य – आवास, मृदभांड, बाट, आभूषण ,औजार ,शवागृह, मोहरे आदि।
  • 5.निर्वाह के तरीके – कृषक, पशुपालक व शिकारी थे।
  • 6.कृषि की विशेषता – यह लोग गेहूं ,जौ ,सफेद चना, तिल, बाजरा, चावल की खेती करते थे। खेत जोतने के लिए बैलों का प्रयोग करते थे ।धातु के औजारों का प्रयोग करते थे। जिस पर लकड़ी के हत्थे लगे हो।
  • 7.सिंचाई के साधन – खेतों में सिंचाई के लिए यह लोग कुएं, जलाश्य,और नहरों का प्रयोग करते थे। धौलावीरा (गुजरात) जलाशय पाए गए। अफगानिस्तान नहरे पाई गई। बनावली (हरियाणा) मिट्टी से बने हल , कालीबंगन (राजस्थान) में जोते हुए खेत पाए गए।
  • 8.नियोजित शहर – मोहनजोदड़ो एक सुनियोजित शहर था। यह दो भागों में बटा था। दुर्ग और निचला शहर। दुर्ग कच्ची ईंटों के चबूतरे पर ऊंचे स्थान पर था, यहां पर शायद धनी लोग रहते थे । निचला शहर नीचे था, और यहां पर सामान्य नागरिक /आम जनता रहती होगी।
  • 9.ग्रह स्थापात्य – मकान पक्की ईंटों के बने होते थे ।मकानों के मध्य आंगन होता था ,चारों तरफ कमरे होते थे ।प्रत्येक घर में स्नानागार होता था ,जिसका पानी सड़क की नाली से जुड़ा होता था ।कई मकान दो मंजिल के  भी होते थे और उन में सीढ़ियां होती थी। मकानों में कुए भी थे।
  • 10.नालों का निर्माण – इस सभ्यता की यह सबसे बड़ी पहचान है ,कि यहां पर पक्की ईंटों की ढ़की हुई नालियाँ बनी थी। यह नालियाँ ग्रिड पद्धति से बनाई गई थी ।यानी सड़के , नालियाँ  एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
  • 11.विलासिता की वस्तुएं – आभूषण, चूड़ियां, सुईयां, झावा ,दर्पण ,स्वर्ण आभूषण, मनके, तांबे के पात्र ,फ़ॅयान्स के पात्र आदि को देखकर लगता है कि यह एक समृद्ध सभ्यता थी।
  • 12.शिल्प उत्पादन केंद्र – लोथल ,धौलावीरा, नागेश्वर ,बालाकोट और चन्हुदडो। इन स्थानों पर ऐसे अवशेष पाए गए हैं जिससे पता चलता है कि यहां पर मनके, मोती ,शंख ,धातु की वस्तुएँ ,मोहरे आदि बनाई जाती थी।
  • 13.सुदूर क्षेत्रों से संपर्क – हड़प्पा सभ्यता के लोग अरब ,ओमान ,मेसोपोटामिया ,बहरीन और दक्षिण भारत से व्यापार करते थे । वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे।इसके लिए वह मोहरों , बाटो, पासे, मनके आदि का प्रयोग करते थे।
  • 14.रहस्यमय लिपि – यह एक वर्णमालीय लिपि नहीं थी।यह लिपि दाएं से बाएं और लिखी जाती थी ।इसमें 375 से 400 चिन्ह थे। इस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं गया है। इस सभ्यता के लोग दशमलव प्रणाली का भी अनुसरण करते थे ।
  • 15.धार्मिक क्रियाकलाप – संभवत ये धार्मिक आस्थाओं और प्रथाओं में विश्वास रखते थे।यह लोग प्रकृति की पूजा करते थे। मातृदेवी,योगी ,एक सीग़ वाला जानवर , आघ शिव, शिवलिंग, पशुपतिनाथ  आदि के चिन्ह इनकी मुहरो से प्राप्त हुए हैं।
  • 16.हड़प्पा सभ्यता का पतन – इस के पतन का  कारण शायद अकाल, सूखा, बाढ़, नदी का रास्ता बदलना ,प्राकृतिक आपदा आदि हो सकता है अभी तक यह अन्वेषण का विषय बना हुआ है।
  • 17.हड़प्पा सभ्यता की खोज -हड़प्पा सभ्यता के कालखंड को कोई नहीं मान रहा था कि यह 3000 वर्ष पुरानी सभ्यता है । पूरातात्त्विक कनिघम तो इन्हें छठी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी के मध्य की सभ्यता मान रहे थे। अंत में दयाराम साहनी व पुरातात्विक सर्वेक्षक जॉन मार्शल ने इसे मेसोपोटामिया के समकालीन सभ्यता सिद्ध किया।
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रोचक तथ्य

    • यह लोग गाय नहीं पालते थे।
    • सभी ईटें  जो यहां पाई गई एक निश्चित अनुपात की थी 4:2:1(l,b,h) ।
    • विशाल स्नानागार– इसका फ़र्श पक्की ईंटों से बना था जिस पर जिप्सम के गारे का प्रयोग किया गया था।
    • विशाल माल गोदाम– यह गोदाम दुर्ग में बना था और अनाज को रखने के लिए बनाया गया होगा।
    • धातु से बने तराजू और पलडे़ यहां पाए गए।
    • शमन-वे महिलाएं व पुरुष होते थे ,जो जादू से इलाज करते थे।
    • शवाधान – मृतकों को गर्तो  में दफनाया जाता था। कुछ क्रबों में आभूषण भी पाए गए।
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