भगवान गणेश , श्री लक्ष्मी और यक्ष कुबेर मे अंतर

इस विषय में कोई अंतर और समानता बताने से पूर्व हम यह बताना जरूरी समझते हैं कि यह भगवान किसी भी तुलना से परे हैं। हम दिवाली पूजा के औचित्य से ही इनका महत्व बता रहे हैं। जैसा की आप जानते हो कि गणेश जी , भगवान शिव-पार्वती के पुत्र, सर्वप्रथम पूजनीय, रिद्धि-सिद्धि के स्वामी , शुभ-लाभ लाने वाले हैं।शास्त्रों के अनुसार गणेश जी रिद्धि, सिद्धि, बुद्धि के दाता हैं तथा विघ्नविनाशक हैं। श्री गणेश जी की कृपा पात्र बनने के लिए निम्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

ॐ गं गणपतये नमः। कामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।

ॐ वक्र तुंडाय हुम्। समृद्धि और वैभव का प्राप्ति के लिए इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है।

ॐ गं नमः। आत्मविश्वास, आत्मबल को बढ़ाने वाला और विघ्न विनाशक मंत्र। इन मंत्रों के अतिरिक्त गणेश चालीसा, गणपति स्रोत, मयूरेश स्रोत आदि के पाठ द्वारा भी गणेश जी की कृपा दृष्टि प्राप्त की जा सकती है।

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माता लक्ष्मी विष्णु जी (पालनकर्ता) की पत्नी ,धन की देवी जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी। अति चंचला मानी जाती हैं। लक्ष्मी जी लोक कल्याण, सत कर्मों से ही प्राप्त होती है। लक्ष्मी जी गतिशील और चलायमान है।अतः वह पवित्र और शुद्ध रहती है। धन संपदा प्राप्ति के लिए तथा आर्थिक अभाव में निम्न मंत्रों द्वारा देवी लक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है।

ॐ लक्ष्मी नमः । आर्थिक तंगी से मुक्ति का  मंत्र।

ॐ ह्रीं ह्रीं  श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नमः। व्यवसाय में लाभ हेतु।

धनाय नमो नमः। धन लाभ के लिए 11 बार इस मंत्र का जाप करें।

लक्ष्मी नारायण नमः। परिवारिक शांति का मंत्र ।इस प्रकार धन प्राप्ति, व्यवसाय में वृद्धि के लिए शुक्रवार को इन मंत्रों के जाप से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

कुबेर धन के देवता (यक्ष) है व देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। इनके पास धन स्थिर रहता है। शास्त्रानुसार रुका हुआ जल और धन शुद्ध नहीं रहता।अतः मंगल कार्यों का अभाव दर्शाता है परंतु यह धन और आभूषणों के रक्षक द्वारपाल है। यक्ष कुबेर, शिव जी के परम भक्त और मित्र है। समृद्धि और धन  के स्वामी कुबेर को कुबेर मंत्र द्वारा प्रसन्न किया जा सकता है

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यधिपत्ये। धनधान्यसमृद्धि मे देही दापय स्वाहा ।। एक अमोघ मंत्र है।

अतः दिवाली पर तीनों देवताओं की पूजा विधि-विधान पूर्ण की जाती है।

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