प्रेम की परिधि-कविताएं

प्रेम - कविताएं

प्रेम – मानसिक वेदना 

प्रेम से भरा संसार चाहिए,
अच्छा, तुम्हें भी थाली में चांद चाहिए।
प्यार में सफल, जीवन में असफल,
देंगे मानसिक वेदना प्रमाण चाहिए।
सपने की दुनिया रंगीन होती है,
हकीकत में जमीन पर पांव चाहिए।
सच, प्रेम भगवान का रूप है,
भगवान को भी सुबह शाम प्रसाद चाहिए।
हम नहीं नकारते भावनाओं को तुम्हारी,
तुम्हें भी तो अपनों का विश्वास चाहिए।
कब तक बचोगे इस सच्चाई से,
प्रेम में भी मान और सम्मान चाहिए।

किसका साथ 

दिल के तूफानों को शांत किया जाए,
आज फिर गैरों का साथ लिया जाए।
अपने तो डूबा देंगे आंसुओं में ही हमें,
दिल के जख्मों को कहीं और साफ किया जाए।
भगवान के दर पर न देर है न अंधेर ,
ऐसे कब तक इंतजार किया जाए।
क्या खूब कहा है जिसने भी कहा,
क्यों न रुके पानी को बहने दिया जाए।
मनोरंजक