क्या करें , क्या न करें- वार्तालाप संबंधी

यदि हम उन्नति चाहते हैं हमें वाणी के महत्व को समझना होगा।वार्तालाप ऐसा मंत्र है जिससे लोगों को आसानी से जीता जा सकता है अपना बना जा सकता है और उनका सहयोग लिया जा सकता है।व्यक्ति को अपनी भाषा सुबोध, साफ, स्पष्ट, संक्षिप्त भावपूर्ण और आम जनता के सामने बोली जाने वाली सीधी सीधी और मुहावरे दार बनानी चाहिए साथ ही उसे अपना उच्चारण भी सुधारना चाहिए।

तुलसी मीठे बचन ते ,सुख उपजत चहुं ओर। बशीकरण एक मंत्र है ,परिहरू बचन कठोर ।। – तुलसीदास जी

क्या करें,क्या न करें- वार्तालाप संबंधी infographic
  • मानव वार्तालाप उसका अपना जीवन ग्रंथ है” 
  • खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय। रहिमन करूए विमुख को, चाहिए यही सजाय।।
  • ऐसी बानी बोलिए ,मन का आपा खोय।औरन को शीतल करै, आपहु शीतल होय।।

सफलता के लिए वार्तालाप का गुण होना आवश्यक है। वाक पटु होने से यहां यह आशय नहीं है कि आप अनर्गल कुछ भी बोलते रहें। विषय छोड़कर इधर-उधर की हांकना अथवा बेकार की बातें करना वार्तालाप संबंधी नहीं है, इसे मूर्खता कहा जाता है। जो बोलो, विषयानुसार, नपे तुले और प्रभावशाली शब्दों में बोलो।

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