Category: सामान्य जानकारी
माननीय , महोदय और महाशय में अंतर
आदर , श्रद्धा , सम्मान देना भारतीय संस्कृति का आत्मीय गुण है। जिस देश में माता-पिता, गुरु को पूजनीय समझा जाता है, वहां पर आदर सूचक शब्दों का कोश असीमित ही होगा। महानुभाव , महामना…
सगुण और निर्गुण भक्ति में अंतर
14 वीं से 17 वीं शताब्दी के बीच का काल भक्ति काल कहलाता है। भक्ति परंपरा को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है- निर्गुण और सगुण। निर्गुण भक्ति और सगुण भक्ति का आधार…
कर्म और कर्तव्य में अंतर
कर्म और कर्तव्य पर आधारित महापुरुषों के दिव्य वचन- कर्म प्राणी अकेला जन्मता है, अकेला मरता है और अपने पाप पुण्य (कर्म) का फल अकेला ही अनुभव करता है।- श्री कृष्ण।कर्म माने प्रत्यक्ष सेवा ,भक्ति माने…
कटाक्ष , ताना और व्यंग्य में अंतर
रहिमन निज मन की, बिथा, मन ही राखो गोय। सुनि अठिलैह लोग सब, बाटि न लैहैं न कोय।। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इस नजरिए से समाज में सुख-दुख जैसे भावों को व्यक्त करना एक…
लोक निंदा एक रोग
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज का गठन मानव के विकास ,सहयोग के लिए ही किया गया है। यदि समाज अपने मानसिकता, कुरीतियां, महिला ,वण॑, धर्म विरोधी नीतियों के चलते व्यक्ति में कुंठा ,निराशा, हताशा, तनाव…
समस्या के समाधान का पिरामिड
अनिश्चितता और विलम्ब हर समस्या के माता-पिता है। समस्या का बोध - जिस प्रकार शारीरिक रोग का पता चलना उसके इलाज के लिए अति आवश्यक होता है। उसी प्रकार किसी भी समस्या का कारण पता…
दैनिक डायरी का महत्व
दैनिक डायरी लिखना एक प्रकार का आत्मचिंतन/स्वचिंतन ही है। डायरी एक प्रकार से हमारी परम मित्र हैं। यह हमें स्वयं से मिलाती है और हमारी भावनाओं, कार्यों , समीक्षाओं , समाधान और विचारों का प्रतिबिंब होती है।आपने…
आलस्य – कारण और निवारण
आलस्य जीवित मानव की कब्र है, जिसमें सब अच्छे गुण दफन हो जाते हैं । - कूपर आलस्य सबसे अधिक विघ्न कारक है। आलस्य से देह और मन दोनों ही कमजोर होते हैं। जहां कोई…
गुरु मेरा अभिमान
गुरु पर १० अनमोल विचार गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए। गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय। कहे कबीर सो संत है, आवागमन नशाय।। गुरु कुम्हार…