धैर्य और दृढ़ता एक दूसरे के पूरक होते हैं । धैर्य निष्क्रिय नहीं , बल्कि सक्रिय बनाता है। जो व्यक्ति धैर्य व दृढ़ता धारण करता है उसको इच्छित प्रत्येक वस्तु प्राप्त हो सकती है। धैर्य एवं दृढ़ इच्छा के बल पर ही व्यक्ति पहाड़ों पर भी विजय प्राप्त कर सकता है।
महापुरुषों के अनुसार
- दृढ़ विश्वास के द्वारा दुर्गम पथ को भी सुगम बनाया जा सकता है।
- सब्र और धैर्य रखो तुम प्रत्येक पर शासन कर सकते हो।
- जो धुन के पक्के होते हैं वह जरूर सफल होते हैं।
- अगर कोई दृढ़ रहे ,तो पतन का कोई गम नहीं उठकर फिर आगे चल देगा। अफलातून
- जीवन का एक उद्देश्य इच्छा शक्ति को दृढ़ बनाना है ,दृढ़ मनुष्य के लिए सदा सुअवसर है। एमरसन
- धीरज क्या है ?आंखों को दुनिया की चीजों की ओर आकर्षित ना होने देना और बाहरी तत्वों को खुद से दूर रखना।गुरु शंकराचार्य
- धैर्य हीन चित्त़ वालों के कार्य कभी समाप्त नहीं होते।
- जो अपने ऊपर शासन नहीं करेगा ,वह सदैव दूसरों का सेवक रहेगा।
- धैर्य के चार रूप है- मन का संयम ,वचन का संयम ,देह का संयम और उपाधि सामग्री का संयम। स्थानांग
- सुख की इच्छा रखने वाले को धीरज रखना चाहिए ।
- सच्चा ज्ञान दृढ़ संकल्प है।
- धैर्य कड़वा है लेकिन उसका फल मीठा है।
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