व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए ज्ञान , कौशल और योग्यता इन तीनों गुणों का समावेश होना बहुत जरूरी है।
ज्ञान की कुछ परिभाषाएं –
- ज्ञान के समान कोई खजाना नहीं है। ज्ञान एक शक्ति है।
- जिस प्रकार प्रकाश के अभाव में वस्तुओं का बोध असंभव है, उसी प्रकार ज्ञान के अभाव में व्यक्ति का विकास असंभव है।
ज्ञान वह प्रकाश स्तंभ है , जो जीवन राह के अंधेरों में रोशनी की किरण का काम करता है। ज्ञान की महिमा का गुणगान शास्त्रों में वर्णित है। अज्ञानता से बढ़कर कोई अभिशाप नहीं होता इसीलिए ज्ञान प्राप्ति के प्रयत्न को ईश्वर वंदना समझ कर करना चाहिए।
कौशलता की कुछ परिभाषाएं –
- जीवन जीने की एक कला है , कौशलता।
- आत्म संयम और आत्म अनुशासन के बिना व्यक्ति कौशल नहीं हो सकता।
कुशलता भिक्षा से नहीं मेहनत से प्राप्त की जाती है।कौशलता सूचनाओं का संग्रह नहीं , अपितु लगातार अभ्यास का परिणाम होता है। अतः यह शिक्षण अधिगम का हिस्सा होता है। किसी भी कार्य में प्रवीणता लाने के लिए एक चित् और एकाग्रता की अति आवश्यकता होती है।अतः कौशल को एक महत्वपूर्ण गुण माना गया है। यदि व्यक्ति किसी भी कार्य को चाहे वह छोटा हो या बड़ा कुशलता से करें तो वह उसमें भी नाम, सम्मान और शोहरत प्राप्त करता है।
क्षमता और योग्यता संबंधित परिभाषाएं –
- यदि अवसर का लाभ ना उठाया जाए तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता।
- योग्यता वह पात्र है जिसमें ज्ञान और कौशल दोनों को स्थान मिलता है।
योग्यता स्वयं अपनी पहचान होती है। सच ही है , योग्यता के बिना ज्ञान और कौशल को सही पहचान नहीं होती है। तभी तो कहा गया है कि योग्यता एक प्राकृतिक गुण है। योग्यता वह सामर्थ्य है जो मिट्टी से भी सोना निकाल सकती है। एक ही गुरु सभी शिष्यों को पढ़ाता है परंतु ज्ञान ग्रहण करने की योग्यता हर शिष्य में अलग-अलग होती है। अतः व्यक्तित्व के निर्माण में योग्यता एक महत्वपूर्ण चरण है।