सूफ़ी शब्द ‘सूफ़’ से बना है जिसका अर्थ ऊन है। यह सूफी संतों द्वारा पहने जाने वाले खुरदूरे ऊनी कपड़ों को दर्शाता है। कुछ विद्वान इसकी उत्पत्ति ‘सफ़ा’ शब्द से मानते हैं जिसका अर्थ साफ है। इसी प्रकार एक मत यह भी है कि यह शब्द उस सफ़ा से बना है जो पैगंबर की मस्जिद के बाहर बना एक चबूतरा था। चबूतरे पर अनुयायियों/followers की मंडली धर्म के विषय में जानने हेतु एकत्रित होती थी। सूफियों के मुख्य चार सिलसिले थे-
चिश्ती सिलसिला
चिश्ती सिलसिले की स्थापना का श्रेय ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को जाता है। वे 1192 ईस्वी में भारत आए , लाहौर और दिल्ली में कुछ समय तक रहने के बाद यह अजमेर चले गए। सन् 1223 में 81 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। आज भी अजमेर में इन की दरगाह ‘ख्वाजा साहब’ के नाम से प्रसिद्ध है। जहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह महान संत थे। चिश्ती मुख्यत फक्कड़ जीवन बिताते थे ,शासन कार्य और राजनीति से दूर सदाचार जीवन बिताते थे। यह रहस्यवादी गुणगान और आध्यात्मिक संगीत की महफिलों द्वारा ईश्वर की उपासना करते थे। इन्होंने अपने आप को स्थानीय परिवेश के अनुरूप बनाया, साथ ही साथ भक्ति परंपरा की विशेषताओं को भी अपनाया। शेख मुइनुद्दीन चिश्ती को अत्यधिक श्रद्धा और प्रेम से ‘गरीब नवाज’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इन्होंने सदाचार पर विशेष बल दिया।
सोहरावद्री सिलसिला
इसके संस्थापक बगदाद के शिक्षक शेख शिहाबुद्दीन सोहराबुद्दीन थे। इन्हीं के शिष्य बहाउद्दीन जकारिया ने भारत में इसकी नींव रखी और लोकप्रिय बनाया। इसका मुख्यालय मुल्तान में था। चिश्ती सिलसिला के विपरीत यह अमीरों से मेल मिलाप रखते थे। धन एकत्र करना , राजशाही पद ग्रहण करना तथा शाही जीवन व्यतीत करते थे। इनकी एक शाखा फिरदौसी जो पूर्वी भारत (बिहार) में काफी प्रसिद्ध रही। इनके प्रमुख संत हजरत शर्फुरद्दीन जिनके पत्रों को ‘मक्तुबात’ के नाम से जाना जाता है।
कादरी सिलसिला
इसकी स्थापना 12 वीं सदी में बगदाद के अब्दुल कादरी जिलानी ने की थी। भारत में इसकी नींव सैयद मुहम्मद ने सिंध प्रांत के उच नामक स्थान से की। कादिरी सिलसिला रूढ़ीवादी परंपरा और कट्टरपंथ को दर्शाता था। यह हरे रंग की पगड़ियां बांधते थे और गाना बजाना पसंद नहीं करते थे। इनके प्रमुख संत हजरत मियां मीर थे। जिन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की नींव रखी।
नक्शबंदी सिलसिला
तेरहवीं शताब्दी में नक्शबंदी सिलसिला मध्य एशिया से अस्तित्व में आया। भारत में इसकी स्थापना 1603 ईस्वी में हुई। ख्वाजा बकी बिल्लाह ने भारत में इसे लोकप्रिय बनाया। सूफी सिलसिलों में यह सिलसिला सबसे कट्टरपंथी विचारो का था। इसके मुख्य संत शेख अहमद सरहिंदी जो अकबर की धार्मिक सहनशीलता की नीति के कट्टर विरोधी थे और शरिया कानून के समर्थक थे। यह इस्लाम के प्रसार के लिए काफी उत्साहित रहते थे। औरंगजेब नक्शबंदी सिलसिले के प्रबल समर्थक थे।
हमें ओर रुचिकर विषय बताने की कृपया करे _/\_
Good and new information for me
May I simply say what a comfort to find someone that actually
knows what they are discussing online. You certainly understand how to bring an issue
to light and make it important. A lot more people ought to read this and understand this side
of your story. It’s surprising you are not more popular since you
surely have the gift.
आप का बहुत बहुत धन्यवाद _/\_
If you want tto grow your knowledge just keep visitging thi web page and be updazted with the mot recnt news
update posted here.
आप का बहुत बहुत धन्यवाद _/\_
Your zeal is contagious, making it difficult not to be enthralled by the topics you explore.
धन्यवाद