यदि व्यक्ति आशावादी व आस्थावादी है तो उसे तनाव छू कर भी नहीं निकल सकता। अतः दुविधा छोड़कर आगे बढ़ना सीखो और अपने इष्ट देव का हाथ पकड़ कर रखो ताकि तुम्हें गिरने का डर न रहे। “हारिए न हिम्मत ,बिसारित न हरिनामा। ” तनाव एक मानसिक व भावनात्मक रोग है।इसका कारण नकारात्मक, हिंसात्मक, निराशावादी, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, तुलनात्मक विचार और अत्यधिक महत्वकांक्षा, अपेक्षाएं होना है। यदि व्यक्ति में इस तरह के भाव लंबे समय तक बने रहे, तो वह तनाव की श्रेणी में आते हैं। जैसे – दीमक लकड़ी को खोखला कर देती है ,उसी तरह तनाव भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से खोखला बना देते हैं।
उच्च महत्त्वकाक्षांओं की पूर्ति के लिए छोटी छोटी आकांक्षा को मत मारो क्योंकि जीवन सफर है ,मंजिल पाने से पहले सफर का मजा लेना चाहिए। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। प्रेम ,विश्वास, त्याग ,सत्कर्म ,संतोष और स्वास्थ्य को महत्व दें। ईश्वर ने तुम्हें जो भी दिया है उसमें संतोष रखें क्योंकि तनाव का प्रमुख कारण तुलना ही है। हर व्यक्ति दूसरे से भिन्न है और सब के भाग्य और कर्म का खाता अलग-अलग है।हर घटना व दुर्घटना के लिए कोई दोषी हो यह जरूरी नहीं क्योंकि “करम गति टारै न टरै। ” “तुलसी भरोसे राम के निश्चित होकर सोए, होनी तो होकर रहे अनहोनी न होय। “और अंत में जोर-जोर से हंसने का अभ्यास करें। एक दिन वह नकली हंसी भी असली हो जाएगी।
तनाव के लक्षण
- अधिकतर एकांत में, घर में रहना।
- सामाजिक कार्यक्रमों, त्योहारों की उपेक्षा करना।
- कार्य में ध्यान/ एकाग्रता न होना।
- उत्साह की कमी ,धीरे चलना व धीरे ही काम करना।
- पहले के समान हंसी ,मजाक न करना।
- शीघ्र ही घबराहट व शारीरिक कंपन होना।
- वजन का अत्यधिक बढ़ना या कम होना।
- अनिद्रा की समस्या।
- हीन भावना व दोष देने की प्रवृत्ति।
- संदेह/ शक करना।
बेहतरीन अभिव्यक्ति….
आप का बहुत बहुत धन्यवाद _/\_
धन्यवाद