कागा काको धन हरे , कोयल काको देत ।
मीठे वचन सुनाइके, जग अपनो कर लेत।
मधुर भाषण का अर्थ है- मीठा बोलना। मीठा बोलना अर्थात मन को अच्छी लगने वाली बात कहना। वही व्यक्ति संसार में सबके आकर्षण का केंद्र होता है, जो अपनी बात को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त कर सकें। बोलना तो सभी जानते हैं । मानव बोलकर ही भाव अभिव्यक्त करता है, किंतु वाणी की मधुरता ईश्वरीय वरदान है।
मधुर भाषण एक कला है। मधु भाषी व्यक्ति सभी को प्रिय लगता है। यदि एक ओर बाण- वर्षा हो रही हो और दूसरी ओर पुष्प- वर्षा तो प्रत्येक प्राणी बाण प्रहार से बचकर पुष्प वर्षा का आश्रय लेगा।मधुर भाषण तो अमृत वर्षा के समान है।कड़वी से कड़वी बात हो सुंदर ढंग से कह देना कुनैन की गोली के समान है। जो चीनी से लिपटी हो।संस्कृत में कहां है –
” सत्यं ब्रूयात , प्रियं ब्रूयात , न ब्रूयात सत्यमप्रियतम “
अर्थात असत्य बात भी प्रिय बोलो। उसके मुंह से फूल झड़ते हैं – इसका अर्थ है वह मीठा बोलता है।मीठी वस्तु सभी को प्रिय लगती है।
” हित मनोहारी च दुर्लभ वचः “
मधुर बोलने में कुछ व्यय नहीं होता है। तथापि वह बहुत प्रभावकारी है । मधुरभाषी डॉक्टर रोगी के बड़े से बड़े दु:ख को मीठा बोल कर आधा कर देता है ।
अतः यदि यश का भागी बनना है तथा मानसिक शांति प्राप्त करनी है तो जरा मीठा बोल कर तो देखिए
मीठा- मीठा बोल , तेरा क्या लगेगा मोल,
अमृतरस ले धोल , हर बात को माप और तोल,
न बजाओ निंदा का ढोल , न करो भद्दा मखौल,
मीठा -मीठा बोल तेरा क्या लगेगा मोल।