भाग्य और पुरुषार्थ पर महान लोगों के विचार
1 कर्म, ज्ञान और भक्ति – ये तीनों जहां मिलते हैं वही सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ है।
2 पुरुषार्थ ही सौभाग्य को सींचता है।
3 हारिए न हिम्मत , बिसारिए न हरिनामा।
4 भाग्य, पुरुषार्थी के पीछे चलता है।
5 मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है।
6 जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पूरे नहीं होते।
7 करम गति टारै नाहि टरै।
8 कार्याणि उद्यमेन हि सिध्यंति न मनोरथः।
9 आपका लक्ष्य भाग्य से पूरा नहीं होगा इसके लिए पुरुषार्थ करना पड़ेगा।
10 लाख संभल कर चले चलने वाले , हादसे हो ही जाते हैं होने वाले।
11 तुलसी भरोसे राम के निश्चित होकर सोए, होनी तो होकर रहे अनहोनी न होय।
12 कर्मवान ,भाग्यवान होता है। कर्महीन ,भाग्यहीन होता है।