सर्वेक्षण, निरीक्षण और परीक्षण में अंतर

सर्वेक्षण, निरीक्षण और परीक्षण में अंतर

किसी भी कार्य/परियोजना/योजना की सफलता का दायित्व सर्वेक्षण, निरीक्षण और परीक्षण निर्धारित करता है।

सर्वेक्षण, निरीक्षण और परीक्षण में अंतर/difference (infographic)

सर्वेक्षण

किसी भी योजना को प्रारंभ करने से पहले उसके सभी पहलुओं की जानकारी एकत्र करना सर्वेक्षण कहलाता है। हमारी जो भी योजना है उसमें अन्य लोगों के अनुभव के आधार पर आने वाली समस्याएं ,लाभ-हानि, परेशानियां उनके समाधान पर गहन आंकड़े इकट्ठा करना और प्रत्येक समस्या का समाधान निश्चित करना सर्वेक्षण कहलाता है। उदाहरण -यदि आप कोई व्यापार आरंभ कर रहे हो तो कच्चा और सस्ता माल, परिवहन, कर्मचारी व उनके वेतन, सरकारी खर्चे, बिजली-पानी के बिल, स्थान का किराया, वस्तु बेचने के लिए उपयुक्त बाजार, सारे खर्चे मिलाकर लाभ। इन सब की जानकारी के लिए आंकड़े इकट्ठे किए जाते है , जिसे सर्वेक्षण कहा जाता है। सर्वेक्षण का आधार व्यक्तियों के अनुभव और योग्यता पर निर्भर करता है। सर्वेक्षण की सटीकता सफलता का मूलाधार होती है।

निरीक्षण

सर्वेक्षण के आधार पर आपने जो कार्य आरंभ किया है, उसकी गुणवत्ता की समय-समय पर जांच निरीक्षण कहलाता है। निरीक्षण का उद्देश्य उत्पाद में दोष सुधार व उसकी प्रक्रिया की जांच करना होता है।निरीक्षण आप स्वयं भी कर सकते हो या किसी योग्य /कार्य कुशल व्यक्ति द्वारा भी करवा सकते हो। जिसे निरीक्षक कहा जाता है। निरीक्षक का दायित्व कार्य प्रगति की जांच करना ,दोष में सुधार करना और गुणवत्ता को बढ़ाना। उदाहरण-यदि आपका कोई व्यापार है तो उसमें निरीक्षक अधिकारी हर वस्तु और कर्मचारियों पर पैनी नजर रखेगा और उनके कार्यों का अवलोकन करेगा ताकि उत्पाद में कोई कमी ना रहे। साथ ही साथ कच्चे माल, बिजली-पानी, समय, परिवहन का दुरुपयोग ना हो। व्यापार में लाभ का एक प्रमुख कारण छोटी-छोटी त्रुटियों पर नजर बनाए रखना होता है।

परीक्षण

परीक्षा से तो आप सभी पूर्ण रूप से अवगत होंगे। कार्य का अंतिम मूल्यांकन अर्थात योग्यता ,सामर्थ्य, गुणवत्ता का तुलनात्मक निष्कर्ष निकालना परीक्षण कहलाता है। योजनाबद्ध, सुव्यवस्थित, सुनियोजित और नियमानुसार कार्य की समाप्ति पर हर स्तर से जांच को परीक्षण कहते हैं। जिस प्रकार परीक्षा केंद्र पर परीक्षक होते हैं उसी प्रकार व्यापार में उपभोक्ता भी परीक्षक होता है वह हमारे उत्पाद की अन्य उत्पादों से योग्यता, क्षमता, मात्रात्मक, गुणात्मक और कीमत का परीक्षण करता है । यदि हमारा उत्पाद सभी स्तरो पर सफल रहता है तो इसका मतलब है कि हम परीक्षा उत्तीर्ण हो गए है।

सर्वेक्षण , निरीक्षण और परीक्षण का दायरा बहुत विस्तृत है और हर कार्यक्षेत्र में इनके महत्व को कोई भी नकार नहीं सकता। छोटे से लेकर बड़ा काम यदि करना है तो आपको इन तीन चरणों से गुजरना अनिवार्य है।

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