हिंदी साहित्य का प्रारंभ आज से लगभग हजार वर्ष पूर्व हो चुका था। यह निर्विवाद सत्य है कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब है। अतः समाज की बदलती हुई राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं अन्य परिस्थितियों के अनुरूप साहित्यिक गतिविधियों में भी परिवर्तन आता रहा है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के शब्दों में “प्रत्येक देश का साहित्य वहां की जनता के संचित चित्र वृत्ति का प्रतिबिंब होता हैं।“
रीति काल तक हिंदी साहित्य मुख्य काव्य तक ही सीमित रहा।आधुनिक काल से कुछ पहले गद्य साहित्य भी लिखा जाने लगा था ,जो भारतेंदु काल तक आते-आते कई रूपों में विकसित और परिपुष्ट हुआ।
हिंदी साहित्य की कुछ प्रमुख विधाएं – कहानी , आलोचना , उपन्यास , यात्रा वृत्त , डायरी , रिपोर्ट्स , आत्मकथा , रेखा चित्र , निबंध , जीवनी , संस्मरण , नाटक , एंकाकी इसके अतिरिक्त भी कुछ अन्य विधाएं हैं , जैसे – लघु कथा, कॉमेडी, विज्ञान कथा, व्यंग, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार आदि।
- कथा साहित्य अर्थात कल्पना साहित्य – लेखक की सर्जनात्मक शक्ति को तथा कथा वाचन शक्ति का प्रदर्शन करती है।कथा साहित्य के सारे पात्र ,घटनाएं ,परिवेश आदि लेखक की कल्पना पर आधारित रहता है। इस साहित्य में अधिकतर कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, लघु कथा, काल्पनिक विज्ञान कथा, व्यंग आते हैं।
- वास्तविक साहित्य अर्थात गैर कल्पना साहित्य – जैसा कि इस अर्थ से ही पता चल रहा है कि लेखक ने साक्ष्यों, तथ्यों के आधार पर लेखन कार्य किया है। इसके अंतर्गत आत्मकथा, जीवन वृत्त, संस्मरण, यात्रा विशेषांक, ऐतिहासिक तथ्य, रिपोर्ट, डायरी आदि जो सत्य घटनाओं या सच्ची कहानी पर आधारित होता है।
कथा साहित्य विकास की वस्तु है, वही वास्तविक साहित्य एक आवश्यकता। सत्य, काल्पनिक कथा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है।
सभी पाठकों का बहुत-बहुत आभार आपके द्वारा भेजे गए सकारात्मक संदेश। हमे शिक्षात्मक लेखन की प्रेरणा देते हैं । धन्यवाद।
Your prose paints vivid scenes in my mind. I can easily imagine every aspect you portray.