काम ,क्रोध ,मद ,लोभ सब नाथ नरक के पंथ। – तुलसीदास जी
क्रोघ पर कुछ सूक्तियां
-
- शक्तिशाली व विनाशकारी भाव है -क्रोध
-
- क्रोध हवा का वह झोंका है, जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है।
-
- क्रोध क्षणिक पागलपन है।
-
- क्रोध में जो कार्य आरंभ किया जाता है, उसका अंत लज्जा में होता है।
-
- क्रोध करना दूसरों की सजा स्वयं को देना है।
- क्रोध का उपचार ध्यान, धैर्य ,सहनशीलता, आत्मविश्वास है।
शारीरिक स्वास्थ्य पर क्रोध का प्रभाव-तनाव, चिंता, डर, क्रोध मे एड्रेनल ग्रंथियों और न्यूरॉन्स द्वारा एड्रेनालाईन हार्मोन का स्राव होता है। इस हार्मोन को ‘ फाइट-या -फ्लाइट ‘ हार्मोन भी कहते हैं। यदि किस हार्मोन का स्राव ज्यादा हो तो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालता है।इसके कारण सिर दर्द ,पेट दर्द, घबराहट, हाथ पैर में कंपन, निराशावादी विचार, उच्च रक्तचाप ,त्वचा रोग एक्जिमा, हृदय रोग और भावनात्मक रूप से व्यक्ति कमजोर होता जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि क्रोध हमारा मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व आर्थिक हर तरह के पतन का एक प्रमुख कारण बन सकता है, इसलिए इसका इलाज करें या करवाएं।अपने जीवन को शांत, सुखमय बनाएं।