गर्व ,घमंड , गुमान और डींग में अंतर

गर्व ,घमंड , गुमान और डींग में अंतर

मानव तू क्यों मद करें, दिखा ज्ञान विज्ञान?

तुझ जैसा ज्ञानी रचा उसका ही धर ध्यान।।

श्रीमन नारायण
गर्व

व्यक्तिगत विशेषताएं जैसे कोई विशेष हुनर, गुण, उपलब्धि, योग्यता, क्षमता के कारण स्वयं को सम्मानित महसूस करना ,गर्व की परिभाषा में आता है। जैसे-1 मुझे गर्व है कि मुझे यह पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त सामूहिक विशेषताएं जैसे देश, भाषा, संस्कृति, मान्यता, परंपरा अन्य कोई विशेषता जिसके कारण हम स्वयं को सम्मानित महसूस करें और उस गुण को बताने में हमें  मान का अनुभव हो, वह भी गर्व की परिधि में ही आता है। जैसे-

  1. गर्व से कहो हम हिंदू हैं।
  2. गर्व से कहो हम भारतीय हैं।

यह एक सकारात्मक प्रवृत्ति है इसमें हम स्वयं को सम्मानित और विशेष समझते हैं पर अन्यों के गुणों और योग्यताओं का सम्मान करते हैं।

जिसमे गर्व नहीं, वह गौरव का अनुभव नहीं कर सकता। हमें अपनी संस्कृति, इतिहास, धर्म पर गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। यदि हमें अपने इतिहास पर गर्व नहीं तो हमारा भविष्य गौरवशाली कभी नहीं बन सकता। हमारे देश में जितने भी आक्रांता आए उनका पहला उद्देश्य हमारे गौरवशाली इतिहास को नष्ट करके हमारे मनोबल को गिराया ताकि हम शांति पूर्वक गुलाम बने रहे।

घमंड, अभिमान, अहम, दंभ-प्रभु की प्राप्ति में सबसे बड़ा बाधक है।

गर्व ,घमंड , गुमान और डींग infographic

गर्व और घमंड में एक वैचारिक अंतर

जिन परिस्थितियों में हम गर्व का अनुभव करते हैं उन्हीं परिस्थितियों में यदि हम अन्यों को स्वयं से छोटा या तुच्छ समझे तो वह घमंड में परिवर्तित हो जाता है। जहां व्यक्ति अपने गुणों,  योग्यताओं, विशेषताओं को सर्वश्रेष्ठ समझे, वही घमंड की शुरुआत हो जाती है। एक पुरानी कहावत है घमंड तो रावण का भी नहीं रहा अर्थात रावण जैसे महान ज्ञानी, शिव भक्त को भी अंततः वनवासी से पराजित होना ही पड़ा। कहा भी गया है यदि तुम झुकते नहीं हो तो टूट जाते हो। इसलिए दूसरों की योग्यताओं और क्षमताओं का सम्मान रखना भी अत्यंत आवश्यक है।

गुमान

गुमान एक बहुत ही संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। जिसमें व्यक्ति को अपनी शक्ति , रूप,संपन्नता आदि पर अभिमान हो जाता है। गुमान अधिकतर हैसियत और औकात से अधिक प्राप्त होने पर या भाग्य से प्राप्त चीजों पर होता है। योग्यता,कौशल विहीन व्यक्तियों में ही गुमान पाया जाता है। एकाएक उन्नति या धन प्राप्ति गुमान का कारण होती है। कभी-कभी भ्रम की स्थिति के लिए भी गुमान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे- गांव भर को यह जरा भी गुमान नहीं था कि  यह सीधा साधा लड़का एक दिन खूंखार डाकू बन जाएगा।

शेख़ी/डींग

योग्यता और सामर्थ्य से अधिक अपनी शक्ति का झूठा प्रचार करना, शेख़ी कहलाता है। स्वयं को महत्वपूर्ण दर्शाने के लिए झूठा आडंबर रचना। डींग हांकना। बढ़-चढ़कर बात करने की प्रवृत्ति ।साधारण बात को भी असाधारण रूप से बढ़ा चढ़ाकर बखान करने की विशेष प्रवृत्ति। शान शौकत दिखाना। यह एक प्रकार का मनोरोग भी होता है , इसमें लोग अपने मित्र मंडली में या कहीं भी अपने बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं और सकारात्मक ऊर्जा महसूस करते हैं। डींगे हांकने के लिए वे हर प्रकार का पाखंड और ढोंग करने में भी नहीं झिझकते। इस प्रकार के लोग छल कपट करने में माहिर होते हैं।

difference